इस कारण से नहीं बिकते ज्यादा इलेक्ट्रिकल व्हीकल This is why not many electric vehicles are sold
इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट है लगातार बढ़ रही है और इलेक्ट्रिक व्हीकल के सेक्टर
में लगातार हमें ग्रोथ देखने मिल रही है ।सरकार भी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सब्सिडीज
टैक्स बेनिफिट्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल की इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रही है ।
इलेक्ट्रिक व्हीकल की भविष्य में बहुत ज्यादा डिमांड रहने वाली है और ये ही व्हीकल
का भविष्य रहने वाला है । लेकिन अगर आप देखोगे तो इलेक्ट्रिक व्हीकल में जो मेजर
जो प्रॉब्लम है वो है बैटरी की कीमत । बैटरी की कीमत ज्यादा होने की वजह से इलेक्ट्रिक
व्हीकल की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है । दूसरा पॉइंट है कि बैटरी को जब हम लाइफ
साइकिल खत्म होने के बाद रिप्लेसमेंट करने जाते हैं बैटरी की कॉस्ट ज्यादा होने की
वजह से काफी परेशानी होती है ।
तीसरी प्रमुख समास्या है चार्जिंग टाइम और रेंज यानी कि हम उस बैटरी से कितनी दूर
तक डिस्टेंस कवर सकते हैं पूरा फुल चार्ज में । एक कस्टमर को या यूजर के दिमाग में रहता
है कि अगर बैटरी बीच में ही खत्म ना हो जाए । खत्म अगर बैटरी डिस्चार्ज हो गई तो समय
बैटरी का उपयोग करने के लिए चार्जिंग कहां से होगी और चार्जिंग टाइम भी अगर आप
देखोगे तो सामान्य चार्जिंग में भी 6 से 8 घंटे का समय लगेगा । अगर आप फास्ट
चार्जिंग करते हो तो फास्ट चार्जिंग में आधा घंटा या 45 मिनट्स का समय लगेगा ।
लेकिन फास्ट चार्जिंग में आपकी बैटरी की लाइफ भी बहुत तेजी से कम होती है । यह
प्रमुख समस्याएं है ।
तो यहां पे कांसेप्ट आता है बैटरी स्वाइपिंग टेक्नोलॉजी का ।बैटरी स्वाइपिंग ये
एक टेक्नोलॉजी ना होके ये एक प्रोसेस है । तो बैटरी स्वाइपिंग टेक्नोलॉजी में
आपको ऑलरेडी जो इसके स्टेशन रहेंगे जैसे कि हमारे पेट्रोल पंप तो उस तरह
से इसके बैटरी स्वाइपिंग स्टेशन रहते हैं । बैटरी स्वाइपिंग स्टेशन पे आपको
आपकी डिस्चार्ज बैटरी को देना है और वहां पहले से चार्ज हुई बैटरी आपको लेना है ।
तो इस तरह से आप बैटरी स्वैप कर सकते हैं । यानी कि अदला बदल कर सकते हैं ।
तो यही है बैटरी स्वैपिंग टेक्नोलॉजी जो कि समाधान उपलब्ध करता है । इलेक्ट्रिक
व्हीकल के प्रॉब्लम्स पर तो बैटरी स्वाइपिंग टेक्नोलॉजी या प्रोसेस को हम एक एक
उदाहरण से समझते हैं । जैसे कि हम किचन में जो गैस सिलेंडर यूज करते हैं तो इसके
लिए हम कनेक्शन लेते हैं और दो सिलेंडर हमको मिलता है । तो बाद सिलेंडर अगर
खत्म हो गया तो हम दूसरा खाली सिलेंडर देते हैं और नया सिलेंडर हम घर लाते हैं ।
तो सेम जो प्रिंसिपल है वो बैटरी स्वाइपिंग टेक्नोलॉजी में यूज किया गया है । यानी कि
ये एक प्रोसेस है । हमें हमारा डिस्चार्ज बैटरी है वो देना है और वहां से नया बैटरी लेना है ।
तो इसके लिए ऑफकोर्स स्टैंडर्ड बैटरी स्टैंडर्डाइज बैटरी साइज ये सब लगेगा ।तो बहुत
से स्टार्टअप कंपनी और गवर्नमेंट भी इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पे काम कर रहा है ।क्योंकि हर
जगह पे हमें ये बैटरी स्टेशन अवेलेबल होना चाहिए । तो वहां से हम बैटरी को चेंज कर
सकते हैं ।
अगर हम इलेक्ट्रिक व्हीकल लेने जाते हैं तो वहां से इलेक्ट्रिक व्हीकल बिना बैटरी हम
ले सकते हैं ।उस टाइम पे बिना बैटरी व्हीकल अगर आप लेते हैं तो बैटरी Cost नहीं लगेगा
तो हमें बहुत कम प्राइस में Eelectricव्हीकल मिल जाएगा । Battery swapping station
का ही एक रिप्रेजेंटेटिव आपको शोरूम पर मिल जाएगा । जो कि कुछ डॉक्यूमेंटेशन
के बाद आपकी रजिस्ट्रेशन कर देगा वहां से आप बैटरी ले सकते हैं ।बाद में हम बैटरी
डिस्चार्ज होगी तो हम Battery swapping station पर battery swap करते रहेंगे ।
तो इस तरह है यह कार्य करेगा और यह बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा । यह एक इलेक्ट्रिक
व्हीकल के जो समस्याएं उनमें से एक केसोल्यूशन का काम करती है । इसके बैटरी स्वाइपिंग
प्रोसेस का स्टैंडर्डाइज डॉक्यूमेंट रहना चाहिए । जहां कि अ टू व्हीलर, फोर व्हीलर के लिए
स्टैंडर्ड बैटरी का साइज होना चाहिए । ये एक्चुअली ज्यादातर इंप्लीमेंट नहीं हुआ है ।
बहुत सी स्टार्टअप कंपनिया इस पे काम कर रही है और सरकार भी इसको सपोर्ट कर रही है।
यह बहुत ही अच्छा सलूशन है ।